Monday, May 12, 2008
३३% का डंका
आजकल महिलाओ को विधान्सभाओ और संसद मैं ३३% आरक्षण पर बहाश जोरो-सोरो पर है । महिला समाज पूरी ताकत झोके है की किसी भी तरह ये पास हो जाए । पर समाज मै एक तबका ऐसा भी है जो ५०% आरक्षण लिए महिलाओ को भटका रहा है । ये वही लोग है जो नही चाहते की महिलाओ को कुछ भी मिले । मैं ये नही कह रही की महिलाये ५०% की हकदार नही। बिल्कुल है । जब हम मर्दो के बराबर या शायद उनसे भी कुछ ज्यादा काम करती है तो क्यों न मिले हमे भी उनके बराबर अधिकार । पर हमे ये भी नही भूलना चाहिए की फालतू की बहाश से कुछ भी हासिल नही होता। ठीक वैसे ही की सरकार ने कहा सड़क बनवायेंगे तो गाव के गाव लड़ पड़े । सड़क हमारे यहाँ से जाए ,हमारे यहाँ से और सड़क कही न जा सकी । बिजली देने को कहा तो फिर वही बहश और सारा जीवन अंधेरे मै ही कट गया। सो बहनो अभी जो मिल रहा है जल्दी झपट लो. इश्से महिलाओ का हौश्ला तो बढेगा ही साथ ही साथ तागत भी बढेगी और आगे की लड़ाई भी कुछ आसान हो जायेगी। क्युकी ३३% आरक्षण मिलना यानी आवाज उठाने वालो की संख्याओ मै और इजाफा होना। तो क्या चाहती है आपलोग सबकुछ या कुछ भी नही ?
"माँ "
ख़ुद भूखी रहकर भी
परिवार को भरपेट खिलाती है
अपने अरमानों का गला घोटकर भी
परिवार की हर जरुरत को पूरा करती है
सारे दुःख सहकर भी
परिवार को सुख देती है
ख़ुद गर्मी मै तपकर भी
परिवार को छाव देती है
ठंड सहकर भी
परिवार को अपने
प्यार की गर्माहट देती है
अपनी लाज बेचकर भी
परिवार की लाज रखती है
वही " माँ "कहलाती है
पर जाने क्यों अंत मै वह
अकेली ही रह जाती है।
चोखेरबाली ने दिया एक स्त्री को धोखा
कुछ दिनों पहले मैं चोखेरबाली से जुड़ी हुई थी पर २ दिन बाद ही उन्होंने मुझे अपने ब्लॉग से निकाल दिया । जानते है क्यों? क्युकी मेने एक साथ २ - ३ पोस्ट कर दी थी। जबकि मेरी कोई गलती नही थी । क्युकी उन्होंने अपने नियमो के बारे मैं कही भी नही लिखा है। इसके लिए मेने उनसे माफ़ी भी मांगी । पर दोबारा उनका कोई जवाब नही आया। चोखेरबाली जो अपने को एक स्त्री का ब्लॉग कहता है क्या उन्होंने मेरे साथ यानि (एक स्त्री ) के साथ धोखा नही किया ? तो क्या सही मायनों मै वो कर पायेंगे स्त्री को धोखा देने वालो का पर्दाफास , क्या दिला पायेंगे स्त्री को धोखा देने वालो को सजा , या फिर उठा पायेंगे स्त्री को धोखा देने वालो के ख़िलाफ़ आवाज। यही नही वहा मेरी एक पोस्ट कुछ समय के लिए रह गई थी . जिसका नाम था "बलात्कार"। जो आप मेरे ब्लॉग मै भी पढ़ सकते है। उसपर मुझे ४-५ कमेंट मिले हुए थे। एक सज्जन ने लिखा था साधारण बक्बास कविता है जिसके जरिये जल्दी प्रसिद्दी पाने की kosish कर रही है। किसी ने लिखा था कमला भंडारी koan है भड़ास पर भी है। तो किसी ने कमला भंडारी koan है। एक सज्जन एषे भी थे जिन्होंने लिखा था बिल्कुल फूहड़ कविता है । एक शालीन स्त्री बार - बार बलात्कार शब्द का प्र्यौग कैसे कर सकती है?
वहा तो मैं इन सवालो का जवाब चाहकर भी नही दे पाई क्युकी जैसे ही मेने अपने जवाब लिखकर पोस्ट की मेरी पोस्ट ही हटा दी गई। इस तरह मन की भड़ास मन मैं ही रही गई। ज्यादा दिनों तक भड़ास को मन मैं रखना मेरे लिए मुश्किल था सो सारे सवालो के जवाब यहाँ लिख रही हूँ।
कमला भंडारी एक साधारण इंसान है और कुछ नही। मैं कोई कवियत्री तो नही शायद इसलिए शब्दों का इस्तेमाल उस तरह नही कर पाई जिस तरह एक कवियत्री कर सकती है , क्युकी मेने लिखना अभी - अभी शुरू किया है । पर मेरी समझ मै ये बात नही आ रही की ज्यादातर पुरुषो को ही आपत्ति क्यों है , शायद इसलिए की बलात्कार शब्द पुरुषो का घिनोना चेहरा जो दिखा देता है । सभी आदमियों का तो नही पर ९०% तो एषे ही है। शायद बलात्कार शब्द सुनते ही पुरुषो को अपने आप पर शर्म आजाती है । सच तो ये है की मर्द्जात मेरे शब्दों को पचा नही पा रहा है। और जहा तक बात है की शालीन महिला इस शब्द का इस्तेमाल केसे कर सकती है तो जरा ये बताइए की जब आपलोग किसी लड़की/महिला को घूरते है ,उसके उप्पर अपनी gandi najre डालते है ,cheetakasi करते है तब क्यों नही देखते की koan सालिन है koan नही। दोस्तो किसी ने कहा है की मै भड़ास पर भी हूँ । तो ये बात अच्छी तरह जान लो की मैं हर उस जगह आपको मिलूंगी जहा मैं अपनी बात कह सकू ,समाज को उसका असली रूप दिखा सकू चाहे वो भड़ास हो ,चोखेरबाली हो या कोई और जगह क्यों न हो।
क्या आप कर सकते है इनकार ?
इस बात से कतई इनकार नही किया जा सकता की आज के कंप्यूटर - आधारित समाज मै हम इंजिनीअर तो बखूबी बना पायेंगे , लेकिन लेखक और कलाकार नही । यानी हम एक ऐसा समाज बनायेंगे , जहा न विचारो की कोई भूमिका होगी और न संवेदना के लिए कोई जगह।
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