Sunday, June 8, 2008

वित्त मंत्रीजी जरा ऐ.सी रूम से बाहर निकलिये

एक तरफ़ सरकार कह रही है की महँगाई रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है । सभी मंत्री महँगाई पर भाषण दे रहे हैं , वही दूसरी तरफ़ सभी जरुरी चीजों के दाम सरकार द्वारा ही बढाए जा रहे हैं । हँसी आती है मंत्री लोगो के ये डाईलाग सुनकर मुझे । समझ नही आता की सरकार जनता को अनपढ़ , अँधा , मंदबुद्धि समझना कब छोड़ेगी ? रोज़ वित्त मंत्रीजी १० - १० घंटे भाषण देते हैं की महँगाई कम कर रहे है , पूरी तैयारी कर गई है । पर दूसरी तरफ़ पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए हैं और गैस के दाम बाप रे ! ५० रुपये और बढ़ा दिए । तन्ख्वा तो जब बढेगी तब बढेगी पर महँगाई कब की बढ़ चुकी है । सरकारी आंकडों मै तो अभी भी आटे - चावल के दाम ४ - ५ रुपये किलो ही चल रहे होंगे पर हकीकत हम सब जानते हैं । अरे! वित्त मंत्री जी जरा अपने ऐ।सी रूम से बाहर निकलिये , गली - मुहल्लों की दुकानों मै जाकर देखिये वो भी एक साधारण आदमी की तरह तब पता चलेगा आपको आटे - चावल का सही भाव । आपका क्या है आप सब तो नेता अभिनेता , जाने - माने हस्ती , बड़ी - बड़ी कम्पनियों के मालिक हो न घर का सामान खरीदने की झंझट न आम आदमी की तरह १-१ रुपये बचाने का चक्कर । तो कैसे पता चलेगा आपलोगो को की महंगाई क्या है ? आपका काम तो लाखों - करोडों से खेलना व बातें करना भर है । किसानों को क़र्ज़ माफ़ी के लिए जाने कितने अरब बैंको को दे रहे हो । अरे! इसकी जगह अगर महँगाई कम की होती तो क्या जरुरत होती किसानों को आत्महत्या करने की ? क्यों करनी पड़ती है किसी को आत्महत्या सोचा है आप - लोगो ने कभी ? अजी , आप लोग क्यों सोचने लगे ये सब ?आपलोग तो किसानों का क़र्ज़ माफ़ कर उनकी नजरो मै भगवान् बनना चाहते हैं ताकि सारे वोट आपको और आपकी पार्टी को ही मिलें । सो अच्छा आइडिया निकाला है आप-लोगो ने ------------
१) पहले महँगाई बढाओ , भुखमरी फैलाओ ।
२) फिर किसानों को क़र्ज़ लेने के लिए उकसाओ की ब्याज दरें कम कर दी गई हैं । और फिर आत्महत्या के लिए मजबूर करो ।
३) जब १० - १५ किसान आत्महत्या कर लें तब उनकी चर्चा घर - घर फैलाओ ।
४) फिर उनके दुखो का रोना रोकर सहानभूति दिखाकर उन्ही का पैसा उन्ही को भीख मै उन्हें लौटाओ । और अपने - अपने पार्टी का झंडा लहराओ .