Wednesday, May 7, 2008

एक पैगाम ( हिजडा समाज ) के नाम

आज मनीषा दीदी हायनेस (हिजडा) का ब्लॉग पढ़ा . आपके साथ जिस तरह की बदसलूकी होती है जानकर बहुत ही दुःख हुआ . पर कब तक आप अपने और अपने समाज पर रोना रोती रहेंगी. आपकी हर पोस्ट बस यही कहती दिख रही है की कोई तो हमपर तरस खाओ, हमारे दुखो का रोना रोवो. दीदी आपके दुखो का रोना तो सब रो भी देंगे पर मैं पूछती हूँ की क्या मातृ हमारे रोने भर से ख़त्म हो जायेंगे आपके सारे दुःख ? क्यों ताक रहे है आप दुश्रो का मुह की कोई तो आपकी तरफ़ देखे .यहाँ सब अंधे है,बहरे है जिन्हें अपना ही दिखाई देता है ,अपना सुनाई देता है. बंद करो दुश्रो के आगे गिडगिडाना , मत कहो अपने ऊपर तरस खाने को. वैसे भी जरुरत क्या है आपको किसी की सहानभूति की ? क्यों खाए कोई (हिजडा समाज) पर तरस ? क्या कमी है आपमें ? हाथ है, पैर है , नाक ,मुह ,कान , आँखे सब तो है . शारीरिक बनावट या शारीरिक शक्ति मै थोड़ा सा अन्तर है तो क्या हुआ . इस दुनिया मै लूले, लंगर , गूंगे ,बहरे ,अंधे सब जी रहे है वो भी शान से .जानते है क्यों ? क्युकी उन्होंने अपने अधिकारों को जाना , अपना हक़ माँगा और उनका इस्तेमाल किया. आज उनके लिए स्कूल -कॉलेज है, नौकरी , मान-सम्मान सब कुछ है . आज हिन्दुवो, मुस्लिमों , अपाहिजो, एस .सी ,एस. टी ,महिलावो सबको कोटा चाहिए . सब लड़ रहे है अपने अधिकारों की लड़ाई. तो क्यों सोया है हिजडा समाज . उठो , जागो ,खड़े होवो , मांगो अपने अधिकार, अपना हक़ , अपना कोटा. क्युकी प्यार से भी जरुरी है अधिकार. उस प्यार की कोई कीमत नही जिसमे अधिकार न मिल सके. पता करो संविधान मै आपकी जगह क्या है ,हक़ क्या है , अधिकार क्या है . अपने को एक आम इंसान समझो ,औरो से अलग नही. अपनी मदद ख़ुद करो तभी लोग भी आपकी मदद के लिए शायद आगे आए.कहते है जहाँ चाह है वही राह है . जब तक हिजडा समाज ख़ुद को नही जानेगा ,कौन जानना चाहेगा उसे . मैं आपके साथ हूँ , हम आपके साथ है और यकीन है की सब भी आपके साथ हो जायेंगे.