Sunday, March 2, 2008
paap
नवरात्र मे जिस कन्या को हम देवी मानकर पूजते है,उशी कन्या की जनम लेने से पूर्व हम भ्रूण हत्या कर देते है क्या यह महा पाप नही है?
saahash
साहश
साहश क्या है?
१. क्या साहश वो है की जो मन किया कर लिया चाहे वो बुरा हो या अच्छा.
२. कठिन काम करना साहश है
३. किसी से भी लड़ लेना साह्श
४.हर काम करने की हिम्मत साह्श
है
**मेरे ख्याल से **सही बात कहना व करना,जब कोई भे उशे कहना या करना नही चाहता हो ---साहश है
क्रपया अपनी राय जरूर दे
साहश क्या है?
१. क्या साहश वो है की जो मन किया कर लिया चाहे वो बुरा हो या अच्छा.
२. कठिन काम करना साहश है
३. किसी से भी लड़ लेना साह्श
४.हर काम करने की हिम्मत साह्श
है
**मेरे ख्याल से **सही बात कहना व करना,जब कोई भे उशे कहना या करना नही चाहता हो ---साहश है
क्रपया अपनी राय जरूर दे
चाह
मुक्त होकर उड़ने की,
है खुले आस्मान को chune की चाह,
सपनो को साकार करने
कीहै मंजिल को पाने की चाह,
दम घुटते इस माहोल me,
है खुली हवा की चाह.
सामाजिक कुरीतियों के बीच,
है एक नई रीति बनने की चाह.
बेटा-बेटी मै भेदभाव करते लोगो को,
है समानता का पाठ पदाने की चाह.
हत्या,बलात्कार,दकेत सांश ले रहे जिस क़ानून
मैहै उष कानून को बदलने की चाह .
इक्किश्वे सधी के अशिक्षित लोगो को,
है शिक्षित करने की चाह.
और शिक्षित बेरोजगारों को ,
है रोजगार दिलवाने की चाह.
इस करोरो की abadhi को,एक सच्चा,अच्छा,शिक्षित,इमानदार नेता चुनो,
है यही बतलाने की चाह.
और प्यारे नेताओ को उनकी सपथ उनके वायदे याद दिलान्र की चाह.
हिंदू,मुस्लिम,सिख. इशाईसब
है आपस मै बाही बाही,लहू एक है लाल रंग का,
है यही dikhane की चाह
लेखिका : कमला भंडारी
है खुले आस्मान को chune की चाह,
सपनो को साकार करने
कीहै मंजिल को पाने की चाह,
दम घुटते इस माहोल me,
है खुली हवा की चाह.
सामाजिक कुरीतियों के बीच,
है एक नई रीति बनने की चाह.
बेटा-बेटी मै भेदभाव करते लोगो को,
है समानता का पाठ पदाने की चाह.
हत्या,बलात्कार,दकेत सांश ले रहे जिस क़ानून
मैहै उष कानून को बदलने की चाह .
इक्किश्वे सधी के अशिक्षित लोगो को,
है शिक्षित करने की चाह.
और शिक्षित बेरोजगारों को ,
है रोजगार दिलवाने की चाह.
इस करोरो की abadhi को,एक सच्चा,अच्छा,शिक्षित,इमानदार नेता चुनो,
है यही बतलाने की चाह.
और प्यारे नेताओ को उनकी सपथ उनके वायदे याद दिलान्र की चाह.
हिंदू,मुस्लिम,सिख. इशाईसब
है आपस मै बाही बाही,लहू एक है लाल रंग का,
है यही dikhane की चाह
लेखिका : कमला भंडारी
hello friends
myself kamla bhandari what can i say more about myself.
i have created my blog coz i want FREEDOM ,freedom for everything.
i want to say so many things,i want to tell also so many things n want to do alsoooooooo
but i haven't any way thats y i created my blog to fulfill that
so dear friends come here and read my blog
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