Thursday, June 12, 2008


क्यों करते हो हम लड़कियों पर बंदिसे

क्या बिगाड़ती हम तुम्हारा

देखो , प्यार से कहती हूँ साथ चलो

खुद भी जियो और हमे भी जीने दो

जो "गुस्सा" हमे आ गया

तुम्हारे अत्याचारों का घडा भी अब भर गया

कर जायेंगे हम भी वो सबकुछ

जो तुम "mardjaat" ने कभी सोचा भी न होगा ।


औरत

करती आ रही है

सदियों से

बस इन्तजार ही ,

कभी सुबह का

कभी शाम का ,

क्यों बनाया है हमने

हर दिन , हर घंटा ,

हर मिनट , हर सेकंड

बस उसके लिए ही

"काम "का ?