Saturday, July 19, 2008

आज की शाम मेरे पापा के नाम

पापा मेरे पापा
करती हूँ आपसे प्यार बहुत
पर कह नही मैं पाती हूँ
कहूँ भी तो कैसे कहूँ ?
कर नहीं पाई हूँ अभी तक
आपके उन सपनो को पूरा
जो देखे थे आपने मेरे लिए
जानती हूँ की
मन ही मन दुखी हैं
आप मेरे लिए
देखा है मैंने उस दुःख ,उस दर्द को
टूट गए हैं मेरी विफलताओं से आपफिर भी
मुस्कुराते हैं की
कहीं मैं भी न टूट जाऊं
पापा मेरा वायदा है आपसे आज
नहीं टूटने दूंगी
आपकी उमीदों को ,आशाओं को
क्यूंकि देखा है मैंने
हमेशा आपकी मेहनत ,आपकी हिम्मत को
न दिन का चैन ,न रात ही आराम किया
आठों पहर बस हमारे लिए ही काम किया ।
देखा है मैंने उस चमक
को आपकी आंखो मैं आते हुए
जब भी मैं पास होती थी और
उन आँसुओ को भी
जब मैं बीमार पड़ती थी
मुझे याद है हर लम्हा , हर वो पल
जब आप मेरे साथ खड़े थे ।
कभी डांटना ,कभी मनाना ,
कभी हँसाना ,कभी रुलाना
और फिर अपने हाथों से खाना खिलाना
हाँ पापा सब याद है मुझे
पूरी कोशिश करुँगी ,करती रहूँगी
आपके सपनों को पूरा करने की
जो देखे थे आपने मेरे लिए
पर अगर पास न हो पाऊं तो
दुखी न होना
भले ही मैं कुछ बन न पाऊं
पर जिंदगी का जो
पाठ आपने मुझे पढाया है
नहीं भूलूंगी उसे कभी
और उसी के बल
एक अच्छा इंसान बन जरुर दिखाउंगी
न छोडूगी साथ आपका जीवन भर
लाठी की जगह आपका
सहारा मैं बन जाऊँगी
न होने दूँगी आपका बुढापा नीरस
फिर से आपकी
वही छोटी सी गुड़िया
मैं बन जाऊँगी ।
और एक अच्छी बेटी होने के
सारे फ़र्ज़ निभाऊँगी

4 comments:

Anonymous said...

भगवान करे, आप वहां पहुंचे, वह काम करें - जिसमें न केवल आपके पापा को, पर हम सब को भी गर्व हो।

vipinkizindagi said...

पोस्ट अच्छी लगी
प्लीज़ Word Verification हटाए

sandeep said...

HAT'S OFF FOR THIS
MY DEAR,
U R REALLY INTELLIGENT...
I LUV U 2 FATHER

&
NOW I JUST PRAY
FOR A MAGIC TO OCCUR.
TAK CARE.

Anonymous said...

वाह, बहुत खूबसूरत है गोपेश्वर, इतने सुंदर दृश्य खीचने के लिए शुक्रिया. आप लिख भी अच्छा रही हैं. आपकी रचनाओं में दर्द की अनुभूति है.
मुकुंद, चंडीगढ़
09914401230