Thursday, June 12, 2008


क्यों करते हो हम लड़कियों पर बंदिसे

क्या बिगाड़ती हम तुम्हारा

देखो , प्यार से कहती हूँ साथ चलो

खुद भी जियो और हमे भी जीने दो

जो "गुस्सा" हमे आ गया

तुम्हारे अत्याचारों का घडा भी अब भर गया

कर जायेंगे हम भी वो सबकुछ

जो तुम "mardjaat" ने कभी सोचा भी न होगा ।

2 comments:

Anonymous said...

kamla aapne achchhi kavita likhi hai

chandan bangari said...

aapne fehmida riyaj aur taslima nasreen ki yad d dila di.behtareen kavita k liye THANKS