Monday, July 28, 2008
people and things
Sunday, July 27, 2008
अस्तित्व ----------
कहते हैं इस दौर में लड़कियाँ
बहुत आगे हैं बढ़ रही
कोई छू रही आसमान तो
कोई धरती की गहराई है नाप रही
कोई जीवन दान दे रही तो
कोई दूसरे का आशियाँ है बना रही
कोई दूसरो के हक़ के लिए लड़ रही तो
कोई दहेज़ है एक अभिशाप का पाठ सबको पढ़ा रही
कोई अपना रही बेसहाराओ को
और पराये का भेद मिटा रही ,
तो कोई आज देश की
प्रधानमंत्री , रास्ट्रपति बन
बागडोर संभाल रही ,
पर कौन जाने क्या हो सच
उन पर भी तो हो सकती है कोई मुशीबत
क्या गारंटी है की
जो छू रही आसमान
उसे किसीने धरती पर न पटका हो
और जो गहराई है नाप रही
उसे कोई जख्म न गहरे दे जाता हो
जो जीवन दान दे रही ,घाव भर रही
कौन जाने उसे ही जीने के लाले हों ,
और शरीर पर जाने कितने ही
निशान घाव के गहरे हों ,
जो बना रही दूसरो का आशियाँ
हो सकता है वो ख़ुद ही
सर छुपाने की जगह हो ढूंड रही ,
लड़ रही है जो दूसरो के हक़ की लड़ाई
कौन जाने उससे ही सब लड़ते हों हक़ की लड़ाई ,
दहेज़ है एक अभिशाप
पाठ जो सबको पढा रही
हो सकता है उसके ही ब्याह मे
हो दहेज़ की भारी मांग हो रही ,
जो अपना रही बेसहाराओ को
क्या गारंटी है की
उसका भी कोई सहारा हो
या हो सकता है की सबने
उसको ही पराया कर डाला हो ,
जो कल थी देश की प्रधानमंत्री ,
आज है रास्ट्रपति ,
क्या हो नहीं सकता की
उसकी दुनियाँ भी हो विरान सी
दुखती हो उनकी भी आँखे
पर दिखा नहीं वो पाती हों
क्युकी आज हैं वो
देश के सर्वश्रेष्ठ पद पर ।
Friday, July 25, 2008
Saturday, July 19, 2008
आज की शाम मेरे पापा के नाम
करती हूँ आपसे प्यार बहुत
पर कह नही मैं पाती हूँ
कहूँ भी तो कैसे कहूँ ?
कर नहीं पाई हूँ अभी तक
आपके उन सपनो को पूरा
जो देखे थे आपने मेरे लिए
जानती हूँ की
मन ही मन दुखी हैं
आप मेरे लिए
देखा है मैंने उस दुःख ,उस दर्द को
टूट गए हैं मेरी विफलताओं से आपफिर भी
मुस्कुराते हैं की
कहीं मैं भी न टूट जाऊं
पापा मेरा वायदा है आपसे आज
नहीं टूटने दूंगी
आपकी उमीदों को ,आशाओं को
क्यूंकि देखा है मैंने
हमेशा आपकी मेहनत ,आपकी हिम्मत को
न दिन का चैन ,न रात ही आराम किया
आठों पहर बस हमारे लिए ही काम किया ।
देखा है मैंने उस चमक
को आपकी आंखो मैं आते हुए
जब भी मैं पास होती थी और
उन आँसुओ को भी
जब मैं बीमार पड़ती थी
मुझे याद है हर लम्हा , हर वो पल
जब आप मेरे साथ खड़े थे ।
कभी डांटना ,कभी मनाना ,
कभी हँसाना ,कभी रुलाना
और फिर अपने हाथों से खाना खिलाना
हाँ पापा सब याद है मुझे
पूरी कोशिश करुँगी ,करती रहूँगी
आपके सपनों को पूरा करने की
जो देखे थे आपने मेरे लिए
पर अगर पास न हो पाऊं तो
दुखी न होना
भले ही मैं कुछ बन न पाऊं
पर जिंदगी का जो
पाठ आपने मुझे पढाया है
नहीं भूलूंगी उसे कभी
और उसी के बल
एक अच्छा इंसान बन जरुर दिखाउंगी
न छोडूगी साथ आपका जीवन भर
लाठी की जगह आपका
सहारा मैं बन जाऊँगी
न होने दूँगी आपका बुढापा नीरस
फिर से आपकी
वही छोटी सी गुड़िया
मैं बन जाऊँगी ।
और एक अच्छी बेटी होने के
सारे फ़र्ज़ निभाऊँगी