Never worry for the delay in success compare to others coz construction of a pyramid takes more time than a ordinary building
Saturday, June 21, 2008
Tuesday, June 17, 2008
कश्मीर युद्ध
जब कश्मीर युद्ध चल रहा था तब एक दिन मैं शाम के समय टी.वी पर एक कार्यक्रम देख रही थी । सब लोग कश्मीर युद्ध पर कुछ न कुछ सुना रहे थे । तभी दिमाग मे ख्याल आया की क्यों न मैं भी कुछ लिखूं क्युकी लिखने का शौक तो मुझे था ही पर पहले या तो शायरियाँ लिखती थी या किसी किताब मैं से कुछ भी अच्छा लगता था तो उत्तार लेती थी ।
ये थी मेरी पहली कविता --------------------------------------
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की लड़ाई थी
दोनों ही तरफ़ के सैनिकों ने
अपनी - अपनी जान लड़ाई थी
अचनाक दुश्मन लाइन आफ कंट्रोल पर पहुँचा
तो अपने सैनिक ने भी उसे धर दबोचा
बोला आज तुझे मारुंगा और तेरे खून से
अपने देश की प्यास बुझाऊंगा ,
दुश्मन डर गया और बोला
थोड़ा सा अपने मन को मोड़ लो
मेरे प्यारे भाई मुझे छोड़ दो
जाने कौन सी हवा चल गई
अपने प्यारे सैनिक को दया आ गई
सैनिक बोला ठीक है छोड़ दूंगा
तेरे लिए अपना मन भी मोड़ लूँगा
पर मेरी भी एक शर्त है
मान ले यदि तू एक मर्द है
दुश्मन मन ही मन मुस्कान
सोचा ये इसकी भूल है
और बाहर बोला मुझे सब मंजूर है
इत्तिफाक से अपना सैनिक एक कवि था
उसका कवि मन जागा और
इधर - उधर भागा
उसने दुश्मन को कविता सुनाई
दुश्मन की सारी इन्द्रियाँ झ्न्नाई
दुश्मन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा
था फिर भी सैनिक के गुण गाये जा रहा था
उम्मीद थी की कभी तो कविता ख़त्म होगी
और उसके दिल की इच्छा भी पूरी होगी
इतने मैं कवि बोला
अरे ! मेरा साहस तो बढ़ाओ
जरा जोर - जोर से तालियाँ तो बजाओ
कवि अपनी कविता सुनाता गया
दुश्मन से तालियाँ बजवाता गया
उसने दुश्मन से ताली बजवाई तबतक
ताली बजाते - बजाते दुश्मन की
जान नही चली गई जबतक
इसतरह सैनिक ने दुश्मन को मिटाया
अपने सैनिक होने का फ़र्ज़
और कवि होने का गर्व
दोनों को साथ - साथ निभाया ।
अगर आप समाज को और करीब से जानना चाहते हैं TO नीचे लिखे लिंक पर क्लिक करें
www.kamlabhandari.blogspot.com
ये थी मेरी पहली कविता --------------------------------------
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की लड़ाई थी
दोनों ही तरफ़ के सैनिकों ने
अपनी - अपनी जान लड़ाई थी
अचनाक दुश्मन लाइन आफ कंट्रोल पर पहुँचा
तो अपने सैनिक ने भी उसे धर दबोचा
बोला आज तुझे मारुंगा और तेरे खून से
अपने देश की प्यास बुझाऊंगा ,
दुश्मन डर गया और बोला
थोड़ा सा अपने मन को मोड़ लो
मेरे प्यारे भाई मुझे छोड़ दो
जाने कौन सी हवा चल गई
अपने प्यारे सैनिक को दया आ गई
सैनिक बोला ठीक है छोड़ दूंगा
तेरे लिए अपना मन भी मोड़ लूँगा
पर मेरी भी एक शर्त है
मान ले यदि तू एक मर्द है
दुश्मन मन ही मन मुस्कान
सोचा ये इसकी भूल है
और बाहर बोला मुझे सब मंजूर है
इत्तिफाक से अपना सैनिक एक कवि था
उसका कवि मन जागा और
इधर - उधर भागा
उसने दुश्मन को कविता सुनाई
दुश्मन की सारी इन्द्रियाँ झ्न्नाई
दुश्मन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा
था फिर भी सैनिक के गुण गाये जा रहा था
उम्मीद थी की कभी तो कविता ख़त्म होगी
और उसके दिल की इच्छा भी पूरी होगी
इतने मैं कवि बोला
अरे ! मेरा साहस तो बढ़ाओ
जरा जोर - जोर से तालियाँ तो बजाओ
कवि अपनी कविता सुनाता गया
दुश्मन से तालियाँ बजवाता गया
उसने दुश्मन से ताली बजवाई तबतक
ताली बजाते - बजाते दुश्मन की
जान नही चली गई जबतक
इसतरह सैनिक ने दुश्मन को मिटाया
अपने सैनिक होने का फ़र्ज़
और कवि होने का गर्व
दोनों को साथ - साथ निभाया ।
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Monday, June 16, 2008
सबसे बड़ा अपराधी कौन ?
बहुत सोचने पर भी मुझे मेरे ही एक प्रश्न का उत्तर आज तक नही मिल पाया । या शायद मिला भी तो मैं उसे स्वीकार नही कर पाई की -------------------
वो माँ - बाप जो बेटी को पैदा तो कर देते है पर उसे कभी अपना नही पाते , समझ नही पाते , प्यार नही कर पाते , जो उसे बोझ समझते है और शादी कर उससे मुक्त होना चाहते है।
या फिर वो पति , सास - ससुर , नन्द , या इसी तरह के और रिश्ते जो उसे जला कर मार डालते है या जीवन भर उसे जीने नही देते । क्या आपके पास है इसका उत्तर ?
सबसे बुरा कौन है , सबसे बड़ा अपराधी कौन है ?
वो माँ - बाप जो बेटी को पैदा तो कर देते है पर उसे कभी अपना नही पाते , समझ नही पाते , प्यार नही कर पाते , जो उसे बोझ समझते है और शादी कर उससे मुक्त होना चाहते है।
या फिर वो पति , सास - ससुर , नन्द , या इसी तरह के और रिश्ते जो उसे जला कर मार डालते है या जीवन भर उसे जीने नही देते । क्या आपके पास है इसका उत्तर ?
Thursday, June 12, 2008
Sunday, June 8, 2008
वित्त मंत्रीजी जरा ऐ.सी रूम से बाहर निकलिये
एक तरफ़ सरकार कह रही है की महँगाई रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है । सभी मंत्री महँगाई पर भाषण दे रहे हैं , वही दूसरी तरफ़ सभी जरुरी चीजों के दाम सरकार द्वारा ही बढाए जा रहे हैं । हँसी आती है मंत्री लोगो के ये डाईलाग सुनकर मुझे । समझ नही आता की सरकार जनता को अनपढ़ , अँधा , मंदबुद्धि समझना कब छोड़ेगी ? रोज़ वित्त मंत्रीजी १० - १० घंटे भाषण देते हैं की महँगाई कम कर रहे है , पूरी तैयारी कर गई है । पर दूसरी तरफ़ पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए गए हैं और गैस के दाम बाप रे ! ५० रुपये और बढ़ा दिए । तन्ख्वा तो जब बढेगी तब बढेगी पर महँगाई कब की बढ़ चुकी है । सरकारी आंकडों मै तो अभी भी आटे - चावल के दाम ४ - ५ रुपये किलो ही चल रहे होंगे पर हकीकत हम सब जानते हैं । अरे! वित्त मंत्री जी जरा अपने ऐ।सी रूम से बाहर निकलिये , गली - मुहल्लों की दुकानों मै जाकर देखिये वो भी एक साधारण आदमी की तरह तब पता चलेगा आपको आटे - चावल का सही भाव । आपका क्या है आप सब तो नेता अभिनेता , जाने - माने हस्ती , बड़ी - बड़ी कम्पनियों के मालिक हो न घर का सामान खरीदने की झंझट न आम आदमी की तरह १-१ रुपये बचाने का चक्कर । तो कैसे पता चलेगा आपलोगो को की महंगाई क्या है ? आपका काम तो लाखों - करोडों से खेलना व बातें करना भर है । किसानों को क़र्ज़ माफ़ी के लिए जाने कितने अरब बैंको को दे रहे हो । अरे! इसकी जगह अगर महँगाई कम की होती तो क्या जरुरत होती किसानों को आत्महत्या करने की ? क्यों करनी पड़ती है किसी को आत्महत्या सोचा है आप - लोगो ने कभी ? अजी , आप लोग क्यों सोचने लगे ये सब ?आपलोग तो किसानों का क़र्ज़ माफ़ कर उनकी नजरो मै भगवान् बनना चाहते हैं ताकि सारे वोट आपको और आपकी पार्टी को ही मिलें । सो अच्छा आइडिया निकाला है आप-लोगो ने ------------
१) पहले महँगाई बढाओ , भुखमरी फैलाओ ।
२) फिर किसानों को क़र्ज़ लेने के लिए उकसाओ की ब्याज दरें कम कर दी गई हैं । और फिर आत्महत्या के लिए मजबूर करो ।
३) जब १० - १५ किसान आत्महत्या कर लें तब उनकी चर्चा घर - घर फैलाओ ।
४) फिर उनके दुखो का रोना रोकर सहानभूति दिखाकर उन्ही का पैसा उन्ही को भीख मै उन्हें लौटाओ । और अपने - अपने पार्टी का झंडा लहराओ .
१) पहले महँगाई बढाओ , भुखमरी फैलाओ ।
२) फिर किसानों को क़र्ज़ लेने के लिए उकसाओ की ब्याज दरें कम कर दी गई हैं । और फिर आत्महत्या के लिए मजबूर करो ।
३) जब १० - १५ किसान आत्महत्या कर लें तब उनकी चर्चा घर - घर फैलाओ ।
४) फिर उनके दुखो का रोना रोकर सहानभूति दिखाकर उन्ही का पैसा उन्ही को भीख मै उन्हें लौटाओ । और अपने - अपने पार्टी का झंडा लहराओ .
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