सी.बी.एस.ई को अपने कोर्स मै इस्तेमाल होने वाली किताबो पर ध्यान देना ही होगा। देखना ही होगा की उनसे मान्यता प्राप्त स्कूलों मै कौन - कौन की किताबे इस्तेमाल हो रही है। क्या सिर्फ़ स्कूलों को मान्यता देकर पेसे कमाना ही उनका मकसद हो गया है। उन्हें सोचना ही होगा की किस मकसद के लिए उन्होंने इतनी बड़ी संस्था खोली है ............१)अच्छा नागरिक बनाने के लिए ।
२) दुनिया के साथ कदम के कदम मिलाकर चलाने के लिए ।
३)ज्ञान प्रदान करने के लिए । या फिर ----------------
१)एक सब्जेक्ट के लिए कई-कई रायटरो की किताबो से पैसे कमाने के लिए ।
२)कोर्स को लंबा कर ये दिखाने के लिए की सी.बी.एस.ई स्कूलों मै कितनी पढ़ाई होती है ।
३)या अपनी फीस मै लगातार वृद्धि कर ये दिखाने के लिए की हम भी दुश्रे स्कूलों से कम नही।
अब केंद्रीय विद्यालयों को ही ले लीजिये --------और तो और टीचरों पर भी इतना बोझ डाल दिया है की पूछिये मत ।(मैं ख़ुद ही इसकी गवाह हूँ)। टीचरों को पढाने को कम समय मिलता है और फालतू के कामो पर ज्यादा समय बरबाद होता है । जैसे ही क्लास मै पहुंचे पहले डायरी भरो की कौन सा पीरियड है , कितने बच्चे आए है ,क्या पढ़ना है । कुछ समय इसमे बरबाद हुआ , कुछ समय बच्चो को चुप कराने मै तो पढाने को कितना समय मिला होगा आप ख़ुद ही अंदाजा लगा सकते है । ऊपर से पढ़ना भी उनके हिसाब से ही है जैसे --------आज केवल सुलेख ही कराना है , आज केवल कविता ही पढानी है ,या फिर पाठ के प्रशन - उत्तर ही कराने है । टीचर जब तक स्कूल मै रहते है टेंशन मै ही नजर आते है । कभी डायरी भरते हुए की क्या -क्या पढाया जा रहा है , किस -किस बच्चे ने ग्रह-कार्य नही किया , किसकी ड्रेस गन्दी थी आदि । जब किसी टीचर पर इतना बोझ डाल दिया जायेगा , इतना प्रेसर होगा तो क्या वो ठीक से पढ़ा पायेगा बच्चो को। ख़ुद टीचर ही कहते है की पहले हम बच्चो को पूरा समय देते थे अच्छे से पढाते भी थे पर अब इतना बोझ हो गया की ठीक से पढाने का समय ही नही मिलता। वो ख़ुद कुबूल कर रहे हैं की अब पहले के मुकाबले । सी.बी.एस. ई(केंद्रीय विद्यालयों) मै वो बात नही रही । मै ये नही कह रही की सभी केन्द्रियाविद्यालायो की यही कहानी है पर ९०% की यही कहानी है। (चाहे तो टीचरों और बच्चो पर एक सर्वे करा कर देख लो)।
www.cbse.nic.in
आप भी बच्चो के भविष्य को सुधारना चाहते है उनके लिए कुछ करना चाहते है तो कृपया अपना योगदान जरुर दे ।
Tuesday, May 27, 2008
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1 comment:
कमला जी जरूरी सवाल उठाये हैं आपने. जिन पर बात होनी चाहिये.
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