Tuesday, April 22, 2008

बड़ी शातिर है ये दुनिया

मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना धुंड लेती है ।

3 comments:

योगेन्द्र मौदगिल said...

खूबसूरत चयन है आपका
बधाई
----योगेन्द्र मौदगिल

शैलेश भारतवासी said...

kamal jee,

main hindyugm par pade aapke comment k madhyam se yahan tak pahuncha..main chahoonga ki aap Hind Yugm se juden aur Hindi Sewa mein haath batayen... Meri email ID hai ... bharatwasi001@gmail.com

विजय गौड़ said...

sunder rachana hai. badhai