ये  शादी बड़ी निराली है  
किसी की आबादी तो 
 किसी की बर्बादी है 
 ये  शादी बड़ी निराली है
 सपने ये दिखाती है  तो 
कभी उनमे  आग भी लगा जाती है 
   किसी को समानित तो  
किसी को अपमानित कर जाती है   
ये  शादी बड़ी निराली है 
 उम्र का बन्धन नही कोई  
कभी भी हो जाती है 
 किसी को ग्राहक तो  
 किसी को  सामान बना जाती है  
  ये  शादी बड़ी निराली है 
 किसी के जीवन को सुखी तो 
 किसी को जीवन भर  दुखी कर जाती है 
 किसी को राजा  तो 
किसी को रंक बना जाती है  
 ये  शादी बड़ी निराली है 
 किसी की आग बुझा जाती है तो
 किसी को आग मै  झुलसा जाती है 
 ये  शादी बड़ी निराली है । 
Thursday, April 10, 2008
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1 comment:
कमला बहन,हमें तो इस निरालेपन से अगर आपके उत्साहित करने से भय समाप्त भी हो जाये तो क्या लाभ अब हम तो एक्सपायर डेट के हो गये हैं जब भगवान अगला जन्म देंगे और साथ में सद्बुद्धि भी देंगे तब ही सोचना ठीक रहेगा।
एक बात और कि रक्षंदा(अख्तर रिज़वी)आपा भी देहरादून की ही रहने वाली हैं यदि हो सके तो आपस में सम्पर्क स्थापित करिये इससे विचारों और अनुभवों को विस्तार मिलेगा।
धन्यवाद
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